👉 बीमा योग्य हित से आप क्या समझते हैं?
बीमा योग्य हित
बीमा
अधिनियम 1938 में बीमा योग्य हित को परिभाषित नहीं किया गया है लेकिन बीमा
योग्य हित ही एक ऐसा तत्व होता है जो बीमा की संविदा को जुआ की या पद्यम
(बाजी) की संविदा से भिन्न करता है. जब तक बीमाधारी में बीमा योग्य हित न
हो बीमा नहीं करा सकता | बीमा संविदा करने वाले पक्षकार इस तत्व या बात के
लिए सहमत होते हैं कि किसी ऐसी घटना के घटने पर जिसमें उनका कोई तात्विक
हित हो, उनमें से एक पक्ष दूसरे पक्ष को एक निश्चित धनराशि का भुगतान करेगा
इसी तात्विक हित को बीमा योग्य हित कहा जाता है. जस्टिस लॉरेंस ने बीमा योग्य हित को परिभाषित करते हुए लिखा है कि उसे
(बीमा योग्य हित) बीमित वस्तु से इस प्रकार सम्बंधित होना चाहिए कि उसके
अस्तित्व से बीमा धारक को लाभ और उसके नष्ट होने से बीमा धारक को हानि हो
.