Saturday, 5 April 2025

कृषि क्षेत्र का मशीनीकरण

    भारत में कृषि क्षेत्र के मशीनीकरण में, जो एक समय में मुख्यतः ट्रैक्टरों के उपयोग पर आधारित था, वर्तमान में आमूलचूल परिवर्तन हो रहे हैं। आधुनिक कृषि मांगों को पूरा करने के लिये स्मार्ट मशीनरी, स्वचालन और सटीक उपकरणों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
कृषि क्षेत्र का मशीनीकरण क्या है?

    कृषि क्षेत्र के मशीनीकरण के अंतर्गत उत्पादकता में सुधार, दक्षता में वृद्धि, तथा कृषि कार्यों में शारीरिक श्रम पर निर्भरता कम करने के लिये हार्वेस्टर और आधुनिक उपकरणों जैसी मशीनों का उपयोग करना शामिल है।


कृषि क्षेत्र के मशीनीकरण में उभरती प्रौद्योगिकियाँ:

परिशुद्ध कृषि: परिशुद्ध कृषि में मृदा और जलवायु स्थितियों के आधार पर संसाधन उपयोग (जल, उर्वरक, पीड़कनाशी) को अनुकूलित करने के लिये GPS, IoT, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ड्रोन और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग किया जाता है।
कृषि में ड्रोन: ड्रोन का उपयोग फसल निगरानी, पीड़कनाशी के छिड़काव और उपज अनुमान के लिये किया जाता है। वैश्विक ड्रोन आयात में भारत की हिस्सेदारी 22% है।
    ड्रोन दीदी योजना का उद्देश्य महिला स्वयं सहायता समूहों को किराये की सेवाएँ प्रदान करने, मशीनीकरण और ग्रामीण रोज़गार को बढ़ावा देने के लिये 15,000 ड्रोन उपलब्ध कराना है।
स्वायत्त मशीनरी: चालक रहित ट्रैक्टर और रोबोट हार्वेस्टर मानव की न्यूनतम आवश्यकता के साथ बीजारोपण, छिड़काव और कटाई जैसे कार्य करते हैं।
कृषि रोबोटिक्स और कृत्रिम बुद्धिमत्ता: कृषि क्षेत्र में रोबोटों के उपयोग से बुवाई, सिंचाई, निराई और कटाई में स्वंयचालित क्रिया सक्षम हुई है, जिससे लागत कम हुई है और दक्षता में वृद्धि हुई है।
कृषि क्षेत्र के मशीनीकरण का स्तर: भारत में कृषि क्षेत्र के मशीनीकरण का कुल स्तर लगभग 47% है। पंजाब और हरियाणा में 40-45% मशीनीकरण है, जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में मशीनीकरण नगण्य है।
    गेहूँ और चावल जैसी अनाज फसलों में लगभग 50-60% योगदान मशीनीकरण का है, जबकि बागवानी में मशीनों का उपयोग कम है।
वैश्विक स्तर: वैश्विक स्तर पर, विकसित देशों में मशीनीकरण का स्तर 90% से अधिक है, जबकि अविकसित क्षेत्र, विशेष रूप से अफ्रीका और दक्षिण एशिया, वर्तमान में भी शारीरिक श्रम पर निर्भर हैं। विकासशील देशों में चीन (60%) और ब्राज़ील (75%) अग्रणी हैं।
 
कृषि क्षेत्र के मशीनीकरण का मुख्य महत्त्व क्या है?

    इनपुट बचत: ICAR की एक रिपोर्ट के अनुसार, कृषि क्षेत्र में मशीनों का उपयोग करने से बीज और उर्वरकों पर 15-20% की बचत होती है, जिससे इनपुट लागत कम हो जाती है, जबकि फसल की गहनता 5-20% बढ़ जाती है।



उच्च दक्षता: इससे श्रम दक्षता में भी सुधार होता है और कृषि कार्य समय में 15-20% की कटौती होती है, जिससे कृषि में उत्पादकता और संधारणीयता बढ़ती है।
भूमि का कुशल उपयोग: रोटावेटर और सबसॉइलर जैसे उन्नत जुताई उपकरण सघन मृदा को भुरभुरा बना कर कठोर भूमि को कृषि योग्य बनाते हैं, इसी प्रकार यंत्रीकृत सिंचाई से जल का कुशल उपयोग सुनिश्चित होता है, तथा शुष्क या असमान भूभाग भी उत्पादक कृषि भूमि में परिवर्तित हो जाती है।
 
भारत में कृषि क्षेत्र के मशीनीकरण की क्या आवश्यकता है?

खाद्य की बढ़ती मांग: भारत की जनसंख्या वर्ष 2048 तक 1.6 बिलियन होने और वर्ष 2050 तक वैश्विक खाद्य मांग में 60% की वृद्धि (FAO) होने की उम्मीद के साथ, सीमित भूमि, जल अभाव, मानसून पर निर्भरता और अल्प मशीनीकरण संधारणीय कृषि विकास के समक्ष चुनौतियाँ हैं।
अल्प कुशल कृषि: भारत की 46.1% आबादी कृषि में संलग्न है, लेकिन सकल घरेलू उत्पाद (आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25) में इसका योगदान केवल 16% है, जो अक्षमताओं को उजागर करता है। मशीनीकरण की सहायता से उत्पादकता बढ़ाकर, कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करके और संधारणीयता सुनिश्चित करके इस अंतराल को कम किया जा सकता है।
श्रम अभाव और नगरीकरण: संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वर्ष 2050 तक भारत की 50% से अधिक आबादी नगरों में निवास करेगी, जिससे कृषि श्रम की उपलब्धता कम हो जाएगी। अन्य क्षेत्रों में उभरते अवसर और मनरेगा जैसी योजनाओं से कार्यबल का प्रवास और अधिक तीव्र हो गया है। कृषि उत्पादकता को बनाए रखने के लिये मशीनीकरण आवश्यक है।
सिंचाई संबंधी चुनौतियाँ: भारत की केवल 53% कृषि योग्य भूमि ही सिंचाई के अंतर्गत है, अतः वर्षा आधारित कृषि जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील बनी हुई है। मशीनीकरण से समय पर बुवाई और कटाई सुनिश्चित होती है, जिससे कार्यकुशलता बढ़ती है और जल-संकटग्रस्त क्षेत्रों में फसल की क्षति कम होती है।
 
कृषि मशीनीकरण में वैश्विक रुझान

कनाडा और अमेरिका: यहाँ इनमें 95% मशीनीकरण है, तथा ट्रैक्टर, हार्वेस्टर और जुताई उपकरणों में भारी पूंजी निवेश किया गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका में अब एक किसान 144 लोगों को भोजन उपलब्ध कराता है, जबकि वर्ष 1960 में यह संख्या 26 थी। सरकारी सहायता में कम ब्याज वाले ऋण, प्रत्यक्ष सब्सिडी और मूल्य समर्थन शामिल हैं।
फ्राँस: यहाँ मशीनीकरण 99% है, यहाँ 680,000 उच्च मशीनीकृत जोत हैं और कृषि उपकरण बाज़ार का मूल्य 6.3 बिलियन यूरो है। किसानों को यूरोपीय संघ से 50% आय के बराबर सब्सिडी मिलती है, जो निर्यात और मशीनरी आयात को सहायता प्रदान करती है।
जापान: यहाँ मशीनीकरण उच्च है, प्रति हेक्टेयर 7 HP ट्रैक्टर की शक्ति है, जो अमेरिका और फ्राँस के समतुल्य है। यह घरेलू कृषि की सुरक्षा के लिये सब्सिडी और उच्च आयात शुल्क प्रदान करता है।
 
भारत में कृषि मशीनीकरण में क्या चुनौतियाँ हैं?

    लघु एवं खंडित भूमि जोत: भारत में औसत कृषि आकार 1.16 हेक्टेयर है (यूरोपीय संघ में 14 हेक्टेयर और अमेरिका में 170 हेक्टेयर की तुलना में), छोटे किसानों के लिये मशीनीकरण आर्थिक रूप से अव्यवहारिक बना हुआ है। लघु, खंडित जोतों के लिये मशीनरी की कमी मशीनीकरण को सीमित करती है।
    लघु जोतों (<2 हेक्टेयर) में पावर टिलर का उपयोग किया जाता है; मध्यम जोतों (2-10 हेक्टेयर) में 30-50 HP ट्रैक्टर और रोटावेटर का उपयोग किया जाता है; वृहद् जोतों (>10 हेक्टेयर) में कंबाइन हार्वेस्टर और लेजर लैंड लेवलर जैसे उन्नत उपकरण अपनाए जाते हैं।
वित्तीय बाधाएँ: कृषि मशीनरी महँगी हैं, और सीमित वित्तीय पहुँच के कारण छोटे किसान इसे वहन करने में संघर्ष करते हैं। यद्यपि 90% ट्रैक्टरों को वित्तपोषित किया जाता है, लेकिन सख्त ऋण मानदंड और उच्च लागत के कारण मशीनीकरण कठिन हो जाता है।
उपकरण की निम्न गुणवत्ता: भारतीय किसानों के पास उन्नत मशीनरी तक सीमित पहुँच है, और उपलब्ध अधिकांश उपकरण निम्न गुणवत्ता के हैं, जिससे उच्च परिचालन लागत और अक्षमता होती है।
क्षेत्रीय असमानताएँ: पर्वतीय कृषि (कृषि योग्य भूमि का 20%) और सुदूरवर्ती क्षेत्रों में भौगोलिक चुनौतियों, उपयुक्त उपकरणों की कमी और कमज़ोर नीतिगत समर्थन के कारण मशीनीकरण कम है।
 
कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिये सरकारी पहल
  • कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन (SMAM)
  • कृषि अवसंरचना कोष (AIF)
  • कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC)
  • जलवायु अनुकूल कृषि में राष्ट्रीय नवाचार (NICRA)
  • मेक इन इंडिया एवं कृषि मशीनरी में FDI
आगे की राह.........

भूमि चकबंदी और कस्टम हायरिंग: कुशल मशीनीकरण के लिये भूमि चकबंदी को प्रोत्साहित करना और छोटे किसानों को कम्बाइन हार्वेस्टर और चावल ट्रांसप्लांटर जैसी महँगी मशीनरी उपलब्ध कराने के लिये कस्टम हायरिंग केंद्रों (CHC) को मज़बूत करना।
प्रौद्योगिकी और वित्तीय पहुँच: कम मशीनीकरण वाले क्षेत्रों में कृषि मशीनरी बैंकों की स्थापना करते हुए कृषि मशीनरी अपनाने के लिये सब्सिडी, कम ब्याज दर पर ऋण और कर प्रोत्साहन सुनिश्चित करना।
अनुसंधान एवं विकास, मानकीकरण एवं प्रशिक्षण: किसान-उद्योग सहयोग को बढ़ावा देना, गुणवत्ता मानकों एवं परीक्षण को लागू करना, तथा कुशल मशीनरी उपयोग एवं रखरखाव के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।समावेशी मशीनीकरण: सभी क्षेत्रों में मशीनीकरण के लाभ को बढ़ाने के लिये पर्वतीय, वर्षा आधारित और बागवानी कृषि के लिये विशिष्ट मशीनरी का विकास करना।
 

प्रश्न_6_ ‘निहित स्वार्थ’, ‘अनिश्चित स्वार्थ, और ‘अनुबंधित अंतरण’ से क्या तात्पर्य है?

उत्तर _
    कानून और संपत्ति हस्तांतरण के संदर्भ में, 'निहित स्वार्थ', 'अनिश्चित स्वार्थ', और 'अनुबंधित अंतरण' महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं जो यह निर्धारित करती हैं कि किसी संपत्ति में अधिकार कब और कैसे प्राप्त होते हैं। आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं:

निहित स्वार्थ (Vested Interest):
    परिभाषा: निहित स्वार्थ का अर्थ है एक ऐसा वर्तमान और पूर्ण अधिकार जो किसी संपत्ति में किसी व्यक्ति को प्राप्त हो चुका है। इस अधिकार का भोग भविष्य में किसी निश्चित घटना के घटित होने या न होने पर निर्भर हो सकता है, लेकिन अधिकार वर्तमान में मौजूद है और निश्चित है। (संपत्ति अंतरण अधिनियम १८८२, धारा 19)
 
मुख्य बातें:
 
वर्तमान अधिकार: निहित स्वार्थ धारक को संपत्ति में वर्तमान में एक वास्तविक अधिकार प्राप्त होता है, भले ही उसका वास्तविक कब्जा भविष्य में मिले।
 
निश्चित अधिकार: यह अधिकार किसी अनिश्चित घटना पर निर्भर नहीं होता है जिससे अधिकार पूरी तरह से समाप्त हो जाए।

हस्तांतरणीय और उत्तराधिकार योग्य: निहित स्वार्थ धारक इस अधिकार को हस्तांतरित कर सकता है (बेच सकता है, दान कर सकता है आदि) और उसकी मृत्यु पर यह उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को प्राप्त होता है।

विलंबित भोग: भोग (possession) भविष्य में किसी शर्त पूरी होने या किसी निश्चित समय के आने पर विलंबित हो सकता है, लेकिन अधिकार वर्तमान में निहित है।

उदाहरण:

1. 'क' ने 'ख' को एक संपत्ति इस शर्त पर हस्तांतरित की कि 'ख' 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर उसका कब्जा प्राप्त करेगा। यहाँ 'ख' को संपत्ति में वर्तमान में निहित स्वार्थ प्राप्त है, भले ही उसका भौतिक कब्जा भविष्य में मिलेगा।

2. 'क' ने 'ख' को जीवन भर के लिए और उसके बाद 'ग' को संपत्ति हस्तांतरित की। यहाँ 'ग' को 'ख' की मृत्यु के तुरंत बाद संपत्ति प्राप्त करने का निहित स्वार्थ है। 'ख' की मृत्यु एक निश्चित घटना है।

अनिश्चित स्वार्थ (Contingent Interest)
    परिभाषा: अनिश्चित स्वार्थ का अर्थ है एक ऐसा संभावित अधिकार जो किसी संपत्ति में किसी व्यक्ति को भविष्य में किसी अनिश्चित घटना के घटित होने या न होने पर प्राप्त हो सकता है। यदि वह अनिश्चित घटना घटित नहीं होती है, तो वह अधिकार कभी भी वास्तविकता में नहीं बदल सकता है।(संपत्ति अंतरण अधिनियम १८८२, धारा 21)
मुख्य बातें:

संभावित अधिकार: अनिश्चित स्वार्थ वर्तमान में केवल एक संभावना है, एक निश्चित अधिकार नहीं।

अनिश्चित घटना पर निर्भर: इस अधिकार का अस्तित्व पूरी तरह से किसी अनिश्चित घटना के घटित होने या न होने पर निर्भर करता है।

हस्तांतरणीय (कुछ शर्तों के साथ): अनिश्चित स्वार्थ को हस्तांतरित किया जा सकता है, लेकिन प्राप्तकर्ता को भी उसी अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है। यदि अनिश्चित घटना घटित नहीं होती है, तो हस्तांतरण प्रभावी नहीं होगा।

उत्तराधिकार योग्य (कुछ शर्तों के साथ): यदि अनिश्चित स्वार्थ धारक की मृत्यु उस अनिश्चित घटना के घटित होने से पहले हो जाती है, तो यह निर्धारित करना जटिल हो सकता है कि यह अधिकार उसके उत्तराधिकारियों को मिलेगा या नहीं। यह हस्तांतरण की शर्तों पर निर्भर करता है।

उदाहरण:

1. 'क' ने 'ख' को एक संपत्ति इस शर्त पर हस्तांतरित की कि यदि 'ख' शादी करता है, तो वह उसका कब्जा प्राप्त करेगा। यहाँ 'ख' को संपत्ति में अनिश्चित स्वार्थ है क्योंकि उसका अधिकार 'ख' की शादी नामक एक अनिश्चित घटना पर निर्भर करता है। यदि 'ख' कभी शादी नहीं करता है, तो उसे संपत्ति का अधिकार नहीं मिलेगा।

2. 'क' ने 'ख' को जीवन भर के लिए और उसके बाद 'ग' को यदि 'ग' उस समय जीवित हो, संपत्ति हस्तांतरित की। यहाँ 'ग' को अनिश्चित स्वार्थ है क्योंकि उसका अधिकार 'ख' की मृत्यु के समय जीवित रहने की अनिश्चित घटना पर निर्भर करता है।

अनुबंधित अंतरण (Conditional Transfer)
    परिभाषा: अनुबंधित अंतरण संपत्ति का वह हस्तांतरण है जो किसी शर्त के अधीन होता है। यह शर्त पूर्ववर्ती (precedent), समवर्ती (concurrent), या पश्चवर्ती (subsequent) हो सकती है। शर्त पूरी होने या न होने पर हस्तांतरण प्रभावी हो सकता है, निलंबित हो सकता है या समाप्त हो सकता है। (संपत्ति अंतरण अधिनियम १८८२, धारा 25)

मुख्य बातें:

शर्त पर आधारित: हस्तांतरण की वैधता या प्रभावशीलता किसी विशेष शर्त के पूरा होने या न होने पर निर्भर करती है।

तीन प्रकार की शर्तें:

पूर्ववर्ती शर्त (Condition Precedent): हस्तांतरण तब तक प्रभावी नहीं होता जब तक कि शर्त पूरी न हो जाए। (उदाहरण: यदि तुम परीक्षा पास करते हो, तो मैं तुम्हें यह किताब दूँगा।)


समवर्ती शर्त (Condition Concurrent): शर्त और हस्तांतरण एक साथ होते हैं। (उदाहरण: नकद भुगतान पर माल की डिलीवरी।)

पश्चवर्ती शर्त (Condition Subsequent): हस्तांतरण प्रभावी होता है, लेकिन यदि शर्त पूरी नहीं होती है तो समाप्त हो सकता है। (उदाहरण: मैंने तुम्हें यह घर दिया है, लेकिन यदि तुम शहर छोड़ देते हो तो यह वापस मेरा हो जाएगा।)

निहित और अनिश्चित स्वार्थ से संबंध: अनुबंधित अंतरण के परिणामस्वरूप निहित या अनिश्चित स्वार्थ उत्पन्न हो सकता है। यदि शर्त ऐसी है कि उसका पूरा होना निश्चित है (भले ही भविष्य में), तो निहित स्वार्थ उत्पन्न हो सकता है। यदि शर्त अनिश्चित है, तो अनिश्चित स्वार्थ उत्पन्न हो सकता है।

उदाहरण:

1. पूर्ववर्ती शर्त: 'क' ने 'ख' को 1 लाख रुपये इस शर्त पर देने का वादा किया कि 'ख' अपनी स्नातक की डिग्री प्राप्त करेगा। यह एक अनुबंधित अंतरण है जिसमें पूर्ववर्ती शर्त है।पश्चवर्ती शर्त: 'क' ने 'ख' को एक संपत्ति हस्तांतरित की, लेकिन शर्त यह थी कि 'ख' को हर साल 'क' को एक निश्चित राशि का भुगतान करना होगा। यदि 'ख' भुगतान करने में विफल रहता है, तो हस्तांतरण समाप्त हो जाएगा। यह एक अनुबंधित अंतरण है जिसमें पश्चवर्ती शर्त है।
 

संक्षेप में अंतर:

विशेषता

निहित स्वार्थ (Vested Interest)

अनिश्चित स्वार्थ (Contingent Interest)

अनुबंधित अंतरण (Conditional Transfer)

अधिकार की प्रकृति

वर्तमान और पूर्ण अधिकार

संभावित अधिकार

शर्त पर आधारित हस्तांतरण

निर्भरता

भविष्य की निश्चित घटना पर 

भोग निर्भर हो सकता है

भविष्य की अनिश्चित घटना पर 

अधिकार निर्भर

किसी भी प्रकार की शर्त पर

निर्भर

हस्तांतरणीयता

पूर्ण रूप से हस्तांतरणीय

कुछ शर्तों के साथ हस्तांतरणीय

हस्तांतरण की शर्तों पर निर्भर

उत्तराधिकार

उत्तराधिकार योग्य

कुछ शर्तों के साथ उत्तराधिकार 

योग्य

हस्तांतरण की शर्तों पर निर्भर

 

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