उत्तर _
कानून और संपत्ति हस्तांतरण के संदर्भ में, 'निहित स्वार्थ', 'अनिश्चित स्वार्थ', और 'अनुबंधित अंतरण' महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं जो यह निर्धारित करती हैं कि किसी संपत्ति में अधिकार कब और कैसे प्राप्त होते हैं। आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं:
निहित स्वार्थ (Vested Interest):
परिभाषा: निहित स्वार्थ का अर्थ है एक ऐसा वर्तमान और पूर्ण अधिकार जो किसी संपत्ति में किसी व्यक्ति को प्राप्त हो चुका है। इस अधिकार का भोग भविष्य में किसी निश्चित घटना के घटित होने या न होने पर निर्भर हो सकता है, लेकिन अधिकार वर्तमान में मौजूद है और निश्चित है। (संपत्ति अंतरण अधिनियम १८८२, धारा 19)
मुख्य बातें:
वर्तमान अधिकार: निहित स्वार्थ धारक को संपत्ति में वर्तमान में एक वास्तविक अधिकार प्राप्त होता है, भले ही उसका वास्तविक कब्जा भविष्य में मिले।
निश्चित अधिकार: यह अधिकार किसी अनिश्चित घटना पर निर्भर नहीं होता है जिससे अधिकार पूरी तरह से समाप्त हो जाए।
हस्तांतरणीय और उत्तराधिकार योग्य: निहित स्वार्थ धारक इस अधिकार को हस्तांतरित कर सकता है (बेच सकता है, दान कर सकता है आदि) और उसकी मृत्यु पर यह उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को प्राप्त होता है।
विलंबित भोग: भोग (possession) भविष्य में किसी शर्त पूरी होने या किसी निश्चित समय के आने पर विलंबित हो सकता है, लेकिन अधिकार वर्तमान में निहित है।
उदाहरण:
1. 'क' ने 'ख' को एक संपत्ति इस शर्त पर हस्तांतरित की कि 'ख' 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर उसका कब्जा प्राप्त करेगा। यहाँ 'ख' को संपत्ति में वर्तमान में निहित स्वार्थ प्राप्त है, भले ही उसका भौतिक कब्जा भविष्य में मिलेगा।
2. 'क' ने 'ख' को जीवन भर के लिए और उसके बाद 'ग' को संपत्ति हस्तांतरित की। यहाँ 'ग' को 'ख' की मृत्यु के तुरंत बाद संपत्ति प्राप्त करने का निहित स्वार्थ है। 'ख' की मृत्यु एक निश्चित घटना है।
2. 'क' ने 'ख' को जीवन भर के लिए और उसके बाद 'ग' को संपत्ति हस्तांतरित की। यहाँ 'ग' को 'ख' की मृत्यु के तुरंत बाद संपत्ति प्राप्त करने का निहित स्वार्थ है। 'ख' की मृत्यु एक निश्चित घटना है।
अनिश्चित स्वार्थ (Contingent Interest)
परिभाषा: अनिश्चित स्वार्थ का अर्थ है एक ऐसा संभावित अधिकार जो किसी संपत्ति में किसी व्यक्ति को भविष्य में किसी अनिश्चित घटना के घटित होने या न होने पर प्राप्त हो सकता है। यदि वह अनिश्चित घटना घटित नहीं होती है, तो वह अधिकार कभी भी वास्तविकता में नहीं बदल सकता है।(संपत्ति अंतरण अधिनियम १८८२, धारा 21)
मुख्य बातें:
संभावित अधिकार: अनिश्चित स्वार्थ वर्तमान में केवल एक संभावना है, एक निश्चित अधिकार नहीं।
अनिश्चित घटना पर निर्भर: इस अधिकार का अस्तित्व पूरी तरह से किसी अनिश्चित घटना के घटित होने या न होने पर निर्भर करता है।
हस्तांतरणीय (कुछ शर्तों के साथ): अनिश्चित स्वार्थ को हस्तांतरित किया जा सकता है, लेकिन प्राप्तकर्ता को भी उसी अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है। यदि अनिश्चित घटना घटित नहीं होती है, तो हस्तांतरण प्रभावी नहीं होगा।
उत्तराधिकार योग्य (कुछ शर्तों के साथ): यदि अनिश्चित स्वार्थ धारक की मृत्यु उस अनिश्चित घटना के घटित होने से पहले हो जाती है, तो यह निर्धारित करना जटिल हो सकता है कि यह अधिकार उसके उत्तराधिकारियों को मिलेगा या नहीं। यह हस्तांतरण की शर्तों पर निर्भर करता है।
उदाहरण:
1. 'क' ने 'ख' को एक संपत्ति इस शर्त पर हस्तांतरित की कि यदि 'ख' शादी करता है, तो वह उसका कब्जा प्राप्त करेगा। यहाँ 'ख' को संपत्ति में अनिश्चित स्वार्थ है क्योंकि उसका अधिकार 'ख' की शादी नामक एक अनिश्चित घटना पर निर्भर करता है। यदि 'ख' कभी शादी नहीं करता है, तो उसे संपत्ति का अधिकार नहीं मिलेगा।
2. 'क' ने 'ख' को जीवन भर के लिए और उसके बाद 'ग' को यदि 'ग' उस समय जीवित हो, संपत्ति हस्तांतरित की। यहाँ 'ग' को अनिश्चित स्वार्थ है क्योंकि उसका अधिकार 'ख' की मृत्यु के समय जीवित रहने की अनिश्चित घटना पर निर्भर करता है।
अनुबंधित अंतरण (Conditional Transfer)
परिभाषा: अनुबंधित अंतरण संपत्ति का वह हस्तांतरण है जो किसी शर्त के अधीन होता है। यह शर्त पूर्ववर्ती (precedent), समवर्ती (concurrent), या पश्चवर्ती (subsequent) हो सकती है। शर्त पूरी होने या न होने पर हस्तांतरण प्रभावी हो सकता है, निलंबित हो सकता है या समाप्त हो सकता है। (संपत्ति अंतरण अधिनियम १८८२, धारा 25)
मुख्य बातें:
शर्त पर आधारित: हस्तांतरण की वैधता या प्रभावशीलता किसी विशेष शर्त के पूरा होने या न होने पर निर्भर करती है।
तीन प्रकार की शर्तें:
पूर्ववर्ती शर्त (Condition Precedent): हस्तांतरण तब तक प्रभावी नहीं होता जब तक कि शर्त पूरी न हो जाए। (उदाहरण: यदि तुम परीक्षा पास करते हो, तो मैं तुम्हें यह किताब दूँगा।)
समवर्ती शर्त (Condition Concurrent): शर्त और हस्तांतरण एक साथ होते हैं। (उदाहरण: नकद भुगतान पर माल की डिलीवरी।)
पश्चवर्ती शर्त (Condition Subsequent): हस्तांतरण प्रभावी होता है, लेकिन यदि शर्त पूरी नहीं होती है तो समाप्त हो सकता है। (उदाहरण: मैंने तुम्हें यह घर दिया है, लेकिन यदि तुम शहर छोड़ देते हो तो यह वापस मेरा हो जाएगा।)
समवर्ती शर्त (Condition Concurrent): शर्त और हस्तांतरण एक साथ होते हैं। (उदाहरण: नकद भुगतान पर माल की डिलीवरी।)
पश्चवर्ती शर्त (Condition Subsequent): हस्तांतरण प्रभावी होता है, लेकिन यदि शर्त पूरी नहीं होती है तो समाप्त हो सकता है। (उदाहरण: मैंने तुम्हें यह घर दिया है, लेकिन यदि तुम शहर छोड़ देते हो तो यह वापस मेरा हो जाएगा।)
निहित और अनिश्चित स्वार्थ से संबंध: अनुबंधित अंतरण के परिणामस्वरूप निहित या अनिश्चित स्वार्थ उत्पन्न हो सकता है। यदि शर्त ऐसी है कि उसका पूरा होना निश्चित है (भले ही भविष्य में), तो निहित स्वार्थ उत्पन्न हो सकता है। यदि शर्त अनिश्चित है, तो अनिश्चित स्वार्थ उत्पन्न हो सकता है।
उदाहरण:
1. पूर्ववर्ती शर्त: 'क' ने 'ख' को 1 लाख रुपये इस शर्त पर देने का वादा किया कि 'ख' अपनी स्नातक की डिग्री प्राप्त करेगा। यह एक अनुबंधित अंतरण है जिसमें पूर्ववर्ती शर्त है।पश्चवर्ती शर्त: 'क' ने 'ख' को एक संपत्ति हस्तांतरित की, लेकिन शर्त यह थी कि 'ख' को हर साल 'क' को एक निश्चित राशि का भुगतान करना होगा। यदि 'ख' भुगतान करने में विफल रहता है, तो हस्तांतरण समाप्त हो जाएगा। यह एक अनुबंधित अंतरण है जिसमें पश्चवर्ती शर्त है।
संक्षेप में अंतर:
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