Monday, 5 May 2025

पर्यावरणीय विधि के अंतर्गत लोक न्यास का सिद्धांत

आज के समय में, जब पर्यावरण संरक्षण एक वैश्विक चिंता का विषय बन गया है, पर्यावरणीय कानून का महत्व और भी बढ़ गया है। इस क्षेत्र में, 'लोक न्यास का सिद्धांत' (Public Trust Doctrine) एक मौलिक और शक्तिशाली अवधारणा के रूप में उभरा है। यह सिद्धांत पर्यावरण की सुरक्षा और भावी पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 


**लोक न्यास का सिद्धांत क्या है?**

सरल शब्दों में, लोक न्यास का सिद्धांत यह मानता है कि कुछ प्राकृतिक संसाधन, जैसे कि नदियाँ, झीलें, समुद्र तट और सार्वजनिक भूमि, जनता के सामूहिक स्वामित्व में हैं। राज्य या सरकार इन संसाधनों का मालिक नहीं है, बल्कि वह इन संसाधनों का संरक्षक या न्यासी (trustee) है। राज्य का कर्तव्य है कि वह इन संसाधनों को वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लाभ के लिए संरक्षित और प्रबंधित करे। इसका अर्थ है कि राज्य इन संसाधनों का ऐसा उपयोग या निपटान नहीं कर सकता है जो जनता के हित के प्रतिकूल हो।

**सिद्धांत का उद्भव:**

लोक न्यास का सिद्धांत प्राचीन रोमन कानून में अपनी जड़ें रखता है, जहां "कम्युनिया ओमनिअम" (communia omnium) की अवधारणा प्रचलित थी, जिसका अर्थ है "सभी की साझा संपत्ति"। यह सिद्धांत मध्यकालीन इंग्लैंड में भी विकसित हुआ और बाद में सामान्य कानून का हिस्सा बन गया। संयुक्त राज्य अमेरिका में, इस सिद्धांत को मन्न बनाम इलिनोइस (Mann v. Illinois) मामले में महत्वपूर्ण पहचान मिली, जहां सुप्रीम कोर्ट ने माना कि कुछ प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन जनता के लाभ के लिए होना चाहिए।

**लोक न्यास सिद्धांत के मुख्य घटक:**

इस सिद्धांत के मुख्य घटकों को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

1. **सार्वजनिक संसाधन (Public Resources):** यह सिद्धांत कुछ विशिष्ट प्राकृतिक संसाधनों पर लागू होता है जिन्हें सार्वजनिक माना जाता है। इनमें अक्सर navigable waters (नौकायन योग्य जल), समुद्र तट, ज्वारीय क्षेत्र (tidal areas) और कभी-कभी सार्वजनिक भूमि और हवा भी शामिल होती है।


2. **राज्य की न्यासी भूमिका (State as Trustee):** राज्य इन सार्वजनिक संसाधनों का मालिक नहीं है, बल्कि वह जनता के लाभ के लिए इनका न्यासी है। राज्य पर इन संसाधनों को विवेकपूर्ण ढंग से प्रबंधित करने और उन्हें दुरुपयोग से बचाने का कर्तव्य है।


3. **जनता का लाभ (Public Benefit):** इन संसाधनों का प्रबंधन जनता के सामूहिक लाभ के लिए किया जाना चाहिए। इसमें मनोरंजन, पारिस्थितिक संतुलन और आर्थिक उपयोग जैसे विभिन्न पहलू शामिल हो सकते हैं, लेकिन अंतिम लक्ष्य हमेशा सार्वजनिक हित होना चाहिए।


4. **न्यास भंग से सुरक्षा (Protection Against Breach of Trust):** नागरिक या जनता उन मामलों में अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है जहां उन्हें लगता है कि राज्य लोक न्यास के सिद्धांत का उल्लंघन कर रहा है या सार्वजनिक संसाधनों का अनुचित उपयोग कर रहा है।

**भारत में लोक न्यास सिद्धांत का अनुप्रयोग:**

भारतीय न्यायपालिका ने पर्यावरणीय मामलों में लोक न्यास के सिद्धांत को व्यापक रूप से मान्यता दी है और लागू किया है। सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न निर्णयों में इस सिद्धांत के महत्व पर जोर दिया है। कुछ महत्वपूर्ण मामले जहां इस सिद्धांत का प्रयोग किया गया है:

* **एम. सी. मेहता बनाम कमल नाथ (M.C. Mehta v. Kamal Nath):** यह मामला भारत में लोक न्यास के सिद्धांत के अनुप्रयोग में एक मील का पत्थर है। इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने एक निजी कंपनी द्वारा रिवर राफ्टिंग कैंप बनाने के लिए नदी के किनारे भूमि के आवंटन को रद्द कर दिया, यह मानते हुए कि राज्य ने लोक न्यास का उल्लंघन किया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य को सार्वजनिक संसाधनों का प्रबंधन जनता के लाभ के लिए करना चाहिए और निजी लाभ के लिए उनका दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है।


* **फफादी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (Fafadi v. State of Uttar Pradesh):** इस मामले में भी कोर्ट ने लोक न्यास के सिद्धांत का हवाला देते हुए आर्द्रभूमि के संरक्षण पर जोर दिया।

भारतीय न्यायपालिका ने लोक न्यास के सिद्धांत को अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के एक अंतर्निहित हिस्से के रूप में भी देखा है, यह मानते हुए कि एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण जीवन के अधिकार का एक अभिन्न अंग है।

**चुनौतियाँ और महत्व:**

हालांकि लोक न्यास का सिद्धांत पर्यावरणीय संरक्षण में एक शक्तिशाली उपकरण है, लेकिन इसके अनुप्रयोग में कुछ चुनौतियाँ भी हैं। सार्वजनिक संसाधनों की परिभाषा, राज्य की न्यासी भूमिका की सीमाएं और निजी विकास और सार्वजनिक हित के बीच संतुलन स्थापित करना जटिल मुद्दे हो सकते हैं।

इसके बावजूद, इस सिद्धांत का महत्व निर्विवाद है। यह:

* **पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देता है:** यह सिद्धांत राज्य पर पर्यावरण की सुरक्षा का कानूनी दायित्व डालता है।


* **सार्वजनिक जवाबदेही सुनिश्चित करता है:** यह राज्य को सार्वजनिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए जवाबदेह बनाता है।


* **नागरिकों को सशक्त बनाता है:** यह नागरिकों को पर्यावरणीय दुरुपयोग के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार देता है।


* **अंतर-पीढ़ीगत समानता को बढ़ावा देता है:** यह सिद्धांत वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर जोर देता है।

**निष्कर्ष:**

पर्यावरणीय विधि के अंतर्गत लोक न्यास का सिद्धांत एक गतिशील और विकसित अवधारणा है जो पर्यावरण की सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह सिद्धांत राज्य पर एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी डालता है और नागरिकों को अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए एक कानूनी आधार प्रदान करता है। जैसे-जैसे पर्यावरणीय चुनौतियाँ बढ़ती जा रही हैं, लोक न्यास के सिद्धांत का महत्व और भी अधिक स्पष्ट होता जा रहा है, जो हमें याद दिलाता है कि हमारी पृथ्वी और उसके संसाधन किसी एक व्यक्ति या संस्था की संपत्ति नहीं हैं, बल्कि वे हम सभी के साझा न्यास हैं।

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