Wednesday, 9 April 2025

भारत में सामाजिक सुरक्षा की अवधारणा का आलोचनात्मक मूल्यांकन


     भारत, एक विकासशील देश, सदियों से सामाजिक और आर्थिक विषमताओं से जूझ रहा है। ऐसे परिदृश्य में, सामाजिक सुरक्षा की अवधारणा नागरिकों के जीवन को सुरक्षित और सम्मानजनक बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में उभरती है। हालांकि, भारत में सामाजिक सुरक्षा की वास्तविकता, आदर्श से काफी दूर है। इस लेख में, हम भारत में सामाजिक सुरक्षा की अवधारणा का आलोचनात्मक मूल्यांकन करेंगे, इसकी ताकत, कमजोरियों, चुनौतियों और आगे की राह पर प्रकाश डालेंगे।

**सामाजिक सुरक्षा: एक संक्षिप्त परिचय**

    सामाजिक सुरक्षा, अनिवार्य रूप से, सरकार और अन्य संस्थानों द्वारा व्यक्तियों और परिवारों को आर्थिक और सामाजिक संकटों से बचाने के लिए उठाए गए उपायों का एक समूह है। इसमें गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी, बुढ़ापा, विकलांगता और प्राकृतिक आपदाओं जैसी स्थितियों से सुरक्षा शामिल है। सामाजिक सुरक्षा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर व्यक्ति को जीवन की एक बुनियादी गुणवत्ता बनाए रखने और गरिमापूर्ण जीवन जीने का अवसर मिले।

**भारत में सामाजिक सुरक्षा: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य**

    भारत में सामाजिक सुरक्षा की जड़ें प्राचीन काल में देखी जा सकती हैं, जहां संयुक्त परिवार प्रणाली और धार्मिक दान कार्य कमजोर वर्गों के लिए एक प्रकार की सुरक्षा प्रदान करते थे। हालांकि, आधुनिक सामाजिक सुरक्षा उपायों की शुरुआत ब्रिटिश शासन के दौरान हुई, जिसमें कारखाना अधिनियम 1881 और कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम 1923 जैसे कानून शामिल थे।

स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम और नीतियां शुरू कीं। इनमें शामिल हैं:

* **कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ESI):** यह योजना संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को चिकित्सा, मातृत्व, और बेरोजगारी लाभ प्रदान करती है।

* **कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO):** यह योजना संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान करती है।

* **राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (IGNOAPS):** यह योजना गरीब वृद्ध व्यक्तियों को पेंशन प्रदान करती है।

* **महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA):** यह अधिनियम ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों को 100 दिनों के रोजगार की गारंटी देता है।

* **प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY):** यह योजना वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और गरीबों को बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी।

* **प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY):** ये योजनाएं सस्ती दर पर जीवन और दुर्घटना बीमा प्रदान करती हैं।

* **आयुष्मान भारत योजना (PM-JAY):** यह योजना गरीब और कमजोर परिवारों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करती है।

**भारत में सामाजिक सुरक्षा की ताकत**

भारत में सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में कुछ महत्वपूर्ण ताकतें हैं:

* **कानूनी ढांचा:** भारत में सामाजिक सुरक्षा को विनियमित करने वाले कानूनों और नीतियों का एक विस्तृत ढांचा मौजूद है।

* **विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम:** विभिन्न लक्षित समूहों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम उपलब्ध हैं।

* **बढ़ता कवरेज:** हाल के वर्षों में सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का कवरेज बढ़ा है, खासकर असंगठित क्षेत्र में।

* **वित्तीय समावेशन:** जन धन योजना जैसे कार्यक्रमों ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे सामाजिक सुरक्षा लाभों का वितरण आसान हो गया है।

* **प्रौद्योगिकी का उपयोग:** प्रौद्योगिकी का उपयोग सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के कार्यान्वयन और निगरानी को बेहतर बनाने में मदद कर रहा है।


**भारत में सामाजिक सुरक्षा की कमजोरियां**

इन ताकतों के बावजूद, भारत में सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में कई कमजोरियां हैं:

* **सीमित कवरेज:** अधिकांश सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम केवल संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों और कुछ गरीब परिवारों तक ही सीमित हैं। असंगठित क्षेत्र के अधिकांश श्रमिकों, जो भारत की श्रम शक्ति का एक बड़ा हिस्सा हैं, को सामाजिक सुरक्षा का लाभ नहीं मिल पाता है।

* **अपर्याप्त लाभ:** सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के तहत प्रदान किए जाने वाले लाभ अक्सर जीवन यापन की लागत को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होते हैं।

* **प्रशासनिक अक्षमता:** कई सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का कार्यान्वयन अक्षम और भ्रष्ट है। लाभार्थियों तक लाभ पहुंचने में देरी होती है और कई मामलों में, वे लाभों से वंचित रह जाते हैं।

* **जागरूकता की कमी:** कई लोगों को सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के बारे में जानकारी नहीं है और वे उनका लाभ नहीं उठा पाते हैं।

* **वित्तीय बाधाएं:** सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए अपर्याप्त धन आवंटन उनकी प्रभावशीलता को सीमित करता है।

* **बढ़ती आबादी और संसाधनों पर दबाव:** भारत की तेजी से बढ़ती आबादी और सीमित संसाधनों के कारण सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना एक बड़ी चुनौती है।


**चुनौतियां**

भारत में सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देने में कई चुनौतियां हैं:

* **गरीबी और असमानता:** भारत में गरीबी और असमानता सामाजिक सुरक्षा प्रणाली पर भारी दबाव डालते हैं।

* **असंगठित क्षेत्र का प्रभुत्व:** असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले अधिकांश श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ नहीं मिल पाता है।

* **अप्रवासन:** ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर अप्रवासन सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों पर दबाव बढ़ाता है।

* **जलवायु परिवर्तन:** जलवायु परिवर्तन से प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है, जिससे सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता बढ़ रही है।

* **भ्रष्टाचार:** भ्रष्टाचार सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के कार्यान्वयन को बाधित करता है और लाभार्थियों तक लाभ पहुंचने से रोकता है।


**आगे की राह**

भारत में सामाजिक सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

* **कवरेज का विस्तार:** सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का कवरेज असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों और अन्य कमजोर समूहों तक बढ़ाया जाना चाहिए।

* **लाभों में वृद्धि:** सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के तहत प्रदान किए जाने वाले लाभों को जीवन यापन की लागत के अनुरूप बढ़ाया जाना चाहिए।

* **प्रशासनिक सुधार:** सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के कार्यान्वयन को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।

* **जागरूकता बढ़ाना:** सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाए जाने चाहिए।

* **वित्तीय आवंटन में वृद्धि:** सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए वित्तीय आवंटन में वृद्धि की जानी चाहिए।
* **प्रौद्योगिकी का उपयोग:** प्रौद्योगिकी का उपयोग सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के कार्यान्वयन और निगरानी को बेहतर बनाने के लिए किया जाना चाहिए।

* **सामाजिक भागीदारी:** सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के डिजाइन और कार्यान्वयन में नागरिक समाज संगठनों और स्थानीय समुदायों को शामिल किया जाना चाहिए।

* **रोजगार सृजन:** रोजगार सृजन को बढ़ावा देने से सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता कम हो जाएगी।

* **शिक्षा और कौशल विकास:** शिक्षा और कौशल विकास से व्यक्तियों को बेहतर रोजगार प्राप्त करने और सामाजिक सुरक्षा पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी।

**निष्कर्ष**


    भारत में सामाजिक सुरक्षा की अवधारणा एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है, लेकिन इसकी वास्तविकता में कई कमियां हैं। सीमित कवरेज, अपर्याप्त लाभ, प्रशासनिक अक्षमता और वित्तीय बाधाएं इस प्रणाली की प्रभावशीलता को सीमित करती हैं। इन चुनौतियों का समाधान करके और ऊपर बताए गए कदमों को उठाकर, भारत अपनी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली को मजबूत कर सकता है और अपने सभी नागरिकों के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक भविष्य सुनिश्चित कर सकता है। सामाजिक सुरक्षा को केवल एक व्यय नहीं, बल्कि मानव पूंजी में निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए, जो दीर्घकाल में देश के विकास और समृद्धि में योगदान देगा।

    सामाजिक सुरक्षा एक सतत प्रक्रिया है और इसे समय-समय पर सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों के अनुसार अनुकूलित करने की आवश्यकता है। भारत को एक ऐसी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली बनाने का प्रयास करना चाहिए जो समावेशी, टिकाऊ और सभी के लिए सुलभ हो। यह न केवल वंचितों और कमजोरों के जीवन को बेहतर बनाएगा, बल्कि देश की सामाजिक और आर्थिक प्रगति में भी योगदान देगा।

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