कछुआ और खरगोश की कहानी एक बहुत ही मशहूर कहानी है जो हमें सिखाती है कि धीमी और स्थिर दौड़ जीतने में मदद करती है:
एक जंगल में एक खरगोश रहता था जिसे अपनी तेज़ रफ़्तार पर बहुत घमंड था। वह हमेशा जंगल के दूसरे जानवरों का मज़ाक उड़ाता था, खासकर कछुए का, जो बहुत धीरे-धीरे चलता था।
दौड़ शुरू हुई। खरगोश पलक झपकते ही बहुत दूर निकल गया। उसने पीछे मुड़कर देखा तो कछुआ कहीं नज़र नहीं आ रहा था। खरगोश ने सोचा, "यह तो बहुत आसान है। मैं थोड़ी देर आराम कर लेता हूँ।" यह सोचकर वह एक पेड़ के नीचे सो गया।
कछुआ धीरे-धीरे लेकिन लगातार चलता रहा। वह बिना रुके अपनी मंज़िल की ओर बढ़ता रहा। जब खरगोश गहरी नींद में सो रहा था, कछुआ उसके पास से गुज़र गया।
जब खरगोश की आँख खुली, तो उसने देखा कि कछुआ दौड़ की मंज़िल के करीब पहुँच चुका है। खरगोश तेजी से भागा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कछुए ने दौड़ जीत ली थी।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि:
- हमें कभी भी अपनी क्षमताओं पर घमंड नहीं करना चाहिए।
- लगातार प्रयास करते रहने से मुश्किल काम भी आसान हो जाते हैं।
- धीमी और स्थिर गति से भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।
यह कहानी हमें धैर्य और दृढ़ता का महत्व सिखाती है।
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