जल हमारे जीवन का आधार है और इसकी गुणवत्ता बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। जल प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है जिसका हमारे स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। भारत में जल प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए **जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, १९७४** एक महत्वपूर्ण वैधानिक ढांचा प्रदान करता है। इस अधिनियम के तहत, राज्यों में **राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड** (State Pollution Control Board - SPCB) की स्थापना की गई है, जिन्हें जल प्रदूषण से संबंधित विभिन्न शक्तियों और कार्यों को सौंपा गया है।
**१. सरिता या कुए के प्रदूषण की दशा में आपात उपाय करने की शक्ति:**
जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, १९७४ की धारा ३२ के तहत, राज्य बोर्ड को सरिताओं (नदियों) या कुओं में गंभीर प्रदूषण की स्थिति में आपात उपाय करने की शक्ति प्रदान की गई है। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण शक्ति है जो बोर्ड को तत्काल कार्रवाई करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने में सक्षम बनाती है।
जब बोर्ड को यह विश्वास हो जाए कि किसी सरिता या कुएं का इस हद तक प्रदूषण हो गया है या होने की संभावना है कि उससे तत्काल निवारण या उपशमन आवश्यक है, तो वह निम्नलिखित कदम उठा सकता है:
* **निर्देश जारी करना:** बोर्ड संबंधित व्यक्ति या प्राधिकरण को ऐसे निर्देश जारी कर सकता है जो प्रदूषण को रोकने या कम करने के लिए आवश्यक हों। इसमें प्रदूषक को अपने संचालन को रोकने, विशिष्ट उपचार प्रक्रियाएं अपनाने या किसी विशेष स्थान पर बहिःस्राव को निर्वहन करने से रोकने के निर्देश शामिल हो सकते हैं।
* **आपात उपायों को लागू करना:** यदि निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है या स्थिति इतनी गंभीर है कि तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है, तो बोर्ड स्वयं या किसी नामित एजेंसी के माध्यम से ऐसे आपात उपाय लागू कर सकता है जो प्रदूषण को रोकने या कम करने के लिए आवश्यक हों। इसमें प्रदूषक स्रोत को बंद करना, प्रदूषित जल को डायवर्ट करना या दूषित क्षेत्र की सफाई करना जैसे कार्य शामिल हो सकते हैं।
* **खर्चों की वसूली:** इन आपात उपायों पर होने वाले खर्चों की वसूली बोर्ड द्वारा उस व्यक्ति या प्राधिकरण से की जा सकती है जिसके कारण प्रदूषण हुआ था। यह शक्ति न केवल प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद करती है बल्कि प्रदूषण फैलाने वालों को भी जवाबदेह ठहराती है।
यह शक्ति बोर्ड को गतिशील और प्रभावी प्रतिक्रिया देने की अनुमति देती है जब जल स्रोत गंभीर खतरे में हों। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा और पारिस्थितिक तंत्र की अखंडता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
**२. बहिःस्रावों का नमूना लेने की शक्ति:**
अधिनियम की धारा २१ राज्य बोर्ड के किसी अधिकारी को किसी भी स्थान से बहिःस्राव (Effluent) का नमूना लेने की शक्ति प्रदान करती है जहां से कोई प्रदूषक जल स्रोत में डिस्चार्ज किया जा रहा है या किए जाने की संभावना है। यह शक्ति प्रदूषण नियंत्रण और निगरानी के लिए एक मौलिक उपकरण है।
बहिःस्राव का नमूना लेना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बोर्ड को निम्नलिखित में मदद करता है:
* **बहिःस्राव की गुणवत्ता का मूल्यांकन करना:** लिए गए नमूनों का रासायनिक और भौतिक विश्लेषण करके, बोर्ड यह निर्धारित कर सकता है कि बहिःस्राव में हानिकारक प्रदूषकों की सांद्रता स्वीकृत मानकों के भीतर है या नहीं।
* **प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करना:** नमूनों के विश्लेषण से यह पता लगाने में मदद मिलती है कि कौन सी औद्योगिक इकाई, नगरपालिका सीवरेज प्रणाली या अन्य स्रोत प्रदूषण फैला रहे हैं।
* **कानूनी कार्रवाई के लिए साक्ष्य एकत्र करना:** यदि नमूनों के विश्लेषण से पता चलता है कि कोई इकाई निर्धारित मानकों का उल्लंघन कर रही है, तो ये नमूने कानूनी कार्रवाई के लिए ठोस साक्ष्य के रूप में काम कर सकते हैं।
* **प्रदूषण नियंत्रण उपायों की प्रभावशीलता का आकलन करना:** नियमित नमूना लेने से यह पता लगाने में मदद मिलती है कि लागू किए गए प्रदूषण नियंत्रण उपाय कितने प्रभावी हैं।
नमूना लेने की प्रक्रिया अधिनियम में विस्तृत रूप से बताई गई है ताकि नमूनों की वैधता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके। इसमें नमूना लेने वाले अधिकारी का अधिकार पत्र, नमूने को दो या अधिक भागों में विभाजित करना, उन्हें सील करना और संबंधित पक्षों को नमूने की एक प्रति प्रदान करना शामिल है। यह प्रक्रिया पारदर्शिता बनाए रखती है और यह सुनिश्चित करती है कि लिए गए नमूनों का उपयोग कानूनी कार्यवाही में किया जा सके।
**निष्कर्ष:**
जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, १९७४ के अधीन राज्य बोर्ड को प्रदान की गई ये दोनों शक्तियां - आपात उपाय करने की शक्ति और बहिःस्रावों का नमूना लेने की शक्ति - जल प्रदूषण से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आपात उपाय करने की शक्ति बोर्ड को गंभीर स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाती है, जबकि नमूना लेने की शक्ति प्रदूषण की निगरानी, पहचान और कानूनी कार्रवाई के लिए आवश्यक साक्ष्य एकत्र करने के लिए महत्वपूर्ण है। इन शक्तियों का प्रभावी ढंग से उपयोग करके, राज्य बोर्ड हमारे जल संसाधनों की सुरक्षा करने और भावी पीढ़ियों के लिए स्वच्छ जल सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हालांकि, इन शक्तियों के उचित कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त संसाधनों, कुशल कर्मियों और सार्वजनिक जागरूकता की भी आवश्यकता है।
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