वन्यजीव संरक्षण भारत में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इस दिशा में **वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972** एक मील का पत्थर है। यह अधिनियम देश में वन्यजीवों और उनके आवासों के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक प्रावधान प्रदान करता है। इस अधिनियम के तहत स्थापित एक महत्वपूर्ण निकाय **राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board for Wild Life - NBWL)** है, जो वन्यजीव संरक्षण नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। यह लेख वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के गठन और उसके प्रमुख कार्यों की विवेचना करता है।
**राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड का गठन:**
वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 5ए के तहत राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड का गठन किया गया है। यह बोर्ड एक वैधानिक निकाय है, जिसका अर्थ है कि इसे अधिनियम द्वारा ही स्थापित किया गया है। बोर्ड का अध्यक्ष **भारत का प्रधानमंत्री** होता है, जो इसके महत्व और उच्च स्तरीय प्रकृति को दर्शाता है। बोर्ड में विभिन्न क्षेत्रों से सदस्य शामिल होते हैं, जो वन्यजीव संरक्षण से संबंधित विविध दृष्टिकोणों और विशेषज्ञता का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें शामिल हैं:
* **केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री:** उपाध्यक्ष के रूप में।
* **संसद सदस्य:** लोकसभा और राज्यसभा से निर्वाचित सदस्य।
* **विभिन्न मंत्रालयों के सचिव:** जैसे वन, पर्यावरण, कृषि, जनजाति कार्य आदि।
* **जाने-माने संरक्षणवादी और वन्यजीव विशेषज्ञ:** जो इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण ज्ञान और अनुभव रखते हैं।
* **वन्यजीवों से संबंधित अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति:** जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नामांकित किया जाता है।
* **राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के अध्यक्ष:** एक पदेन सदस्य के रूप में।
इस विविध संरचना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वन्यजीव संरक्षण से संबंधित सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श किया जाए और विभिन्न हितधारकों की राय को शामिल किया जाए।
**राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के प्रमुख कृत्य (Functions):**
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के कार्य व्यापक और महत्वपूर्ण हैं। अधिनियम के तहत, इसके प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:
1. **वन्यजीव संरक्षण और विकास को बढ़ावा देना:** बोर्ड देश में वन्यजीवों और उनके आवासों के संरक्षण और विकास को बढ़ावा देने के लिए नीतियां और योजनाएं तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
2. **वन्यजीव संरक्षण से संबंधित मामलों पर सलाह देना:** केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को वन्यजीव संरक्षण से संबंधित सभी महत्वपूर्ण मामलों पर बोर्ड की सलाह अनिवार्य है। इसमें वन्यजीव संरक्षण नीतियों का निर्माण, वन्यजीव अभ्यारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना और प्रबंधन, और वन्यजीव अपराधों पर नियंत्रण जैसे मुद्दे शामिल हैं।
3. **वन्यजीव अभ्यारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों की सीमाओं में बदलाव पर सलाह देना:** किसी भी वन्यजीव अभ्यारण्य या राष्ट्रीय उद्यान की सीमा में परिवर्तन करने से पहले बोर्ड की सहमति आवश्यक है। यह सुनिश्चित करता है कि संरक्षित क्षेत्रों को किसी भी अनुचित प्रभाव से बचाया जाए।
4. **परियोजनाओं की मंजूरी:** किसी भी विकास परियोजना, जैसे खनन, सड़क निर्माण या अन्य अवसंरचना परियोजनाओं को जो राष्ट्रीय उद्यान या वन्यजीव अभ्यारण्य के अंदर या उसके आसपास स्थित हैं, बोर्ड की मंजूरी आवश्यक है। यह पर्यावरण और वन्यजीवों पर संभावित नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए किया जाता है।
5. **वन्यजीव अनुसंधान को बढ़ावा देना:** बोर्ड वन्यजीवों और उनके आवासों पर अनुसंधान को प्रोत्साहित करता है ताकि संरक्षण प्रयासों को वैज्ञानिक आधार प्रदान किया जा सके।
6. **संरक्षण कार्यक्रमों की समीक्षा और निगरानी:** बोर्ड देश में चल रहे वन्यजीव संरक्षण कार्यक्रमों की समीक्षा करता है और उनकी प्रभावशीलता की निगरानी करता है।
7. **अन्य संबंधित मामले:** अधिनियम द्वारा निर्दिष्ट या सरकार द्वारा सौंपे गए वन्यजीव संरक्षण से संबंधित किसी भी अन्य मामले पर कार्रवाई करना।
संक्षेप में, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड भारत में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों के लिए एक महत्वपूर्ण शासी निकाय है। इसकी स्थापना अधिनियम के उद्देश्य को प्राप्त करने और वन्यजीवों और उनके आवासों को भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बोर्ड की बहुआयामी सदस्यता और व्यापक कार्य वन्यजीव संरक्षण के मुद्दों पर एक समग्र और सूचित दृष्टिकोण सुनिश्चित करते हैं। हालांकि, बोर्ड की प्रभावशीलता उसके निर्णयों के समय पर कार्यान्वयन और विभिन्न सरकारी निकायों और जनता के बीच प्रभावी समन्वय पर भी निर्भर करती है।
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