जैव विविधता हॉटस्पॉट एक ऐसा जैव भौगोलिक क्षेत्र है जहाँ पर्याप्त मात्रा में जैव विविधता पाई जाती है, लेकिन मानवीय गतिविधियों के कारण खतरे में है। इन क्षेत्रों में पौधों और जानवरों की स्थानिक प्रजातियों की उच्च संख्या होती है, जिसका मतलब है कि वे दुनिया में कहीं और नहीं पाए जाते हैं।
किसी क्षेत्र को जैव विविधता हॉटस्पॉट माने जाने के लिए, उसे दो मानदंडों को पूरा करना होगा:
- इसमें संवहनी पौधों की कम से कम 1,500 स्थानिक प्रजातियां होनी चाहिए।
- इसने अपनी मूल प्राकृतिक वनस्पति का कम से कम 70% खो दिया होना चाहिए।
भारत को जैव विविधता हॉटस्पॉट क्यों माना जाता है:
भारत में दुनिया के 18 जैव विविधता हॉटस्पॉट में से चार हैं:
- हिमालय
- पश्चिमी घाट
- इंडो-बर्मा क्षेत्र
- सुंडालैंड
ये क्षेत्र वनस्पतियों और जीवों की एक विस्तृत श्रृंखला के घर हैं, जिनमें से कई स्थानिक हैं। भारत में दुनिया की लगभग 7-8% दर्ज प्रजातियां पाई जाती हैं। भारत में इतनी विविधता है कि भारत को मेगाडाइवर्स देशों में भी गिना जाता है।
यहाँ कुछ कारण बताए गए हैं कि भारत को जैव विविधता हॉटस्पॉट क्यों माना जाता है:
- भौगोलिक विविधता: भारत में विभिन्न प्रकार की भौगोलिक विशेषताएं हैं, जिनमें हिमालय पर्वत, पश्चिमी घाट, थार रेगिस्तान और सुंदरवन मैंग्रोव शामिल हैं। यह भौगोलिक विविधता विभिन्न प्रकार के आवासों का समर्थन करती है, जो बदले में विभिन्न प्रकार की प्रजातियों का समर्थन करती है।
- जलवायु विविधता: भारत में उष्णकटिबंधीय से लेकर अल्पाइन तक जलवायु की एक विस्तृत श्रृंखला है। यह जलवायु विविधता विभिन्न प्रकार की प्रजातियों का समर्थन करती है।
- उच्च स्थानिक प्रजातियां: भारत कई स्थानिक प्रजातियों का घर है, जिसका अर्थ है कि वे दुनिया में कहीं और नहीं पाई जाती हैं।
- मानवीय गतिविधियों से खतरा: भारत में मानवीय गतिविधियां, जैसे कि वनों की कटाई, प्रदूषण और निवास स्थान का विनाश, इन क्षेत्रों में जैव विविधता के लिए एक बड़ा खतरा है।
भारत की जैव विविधता दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक है। यह लाखों लोगों को भोजन, पानी और आश्रय प्रदान करता है। यह देश की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत की जैव विविधता का संरक्षण महत्वपूर्ण है।
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