Tuesday, 8 April 2025

अव्यक्त अधिगम

अव्यक्त अधिगम (Latent Learning) एक प्रकार का अधिगम है जो तुरंत किसी प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया में व्यक्त नहीं होता है। यह सीखे गए व्यवहार या संबंधों के किसी भी स्पष्ट सुदृढ़ीकरण के बिना होता है। अव्यक्त अधिगम तब होता है जब कोई व्यक्ति या जानवर किसी विशेष परिस्थिति या वातावरण में बिना किसी स्पष्ट कारण के जानकारी प्राप्त करता है। यह जानकारी तब तक अप्रयुक्त रहती है जब तक कि उसे व्यवहार में प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त प्रेरणा न हो।

अव्यक्त अधिगम की अवधारणा:

अव्यक्त अधिगम का विचार एडवर्ड टॉलमैन द्वारा प्रस्तावित किया गया था। टॉलमैन ने तर्क दिया कि मनुष्य और जानवर प्रतिदिन इस प्रकार के अधिगम में संलग्न होते हैं। उदाहरण के लिए, जब हम प्रतिदिन एक ही मार्ग पर चलते हैं, तो हम विभिन्न इमारतों और वस्तुओं के स्थानों को याद रखते हैं, भले ही हमें उन स्थानों को याद रखने के लिए कोई स्पष्ट कारण न हो।

अव्यक्त अधिगम का उदाहरण:

टॉलमैन ने चूहों पर किए गए एक प्रयोग में अव्यक्त अधिगम का प्रदर्शन किया। उन्होंने चूहों के दो समूहों को एक भूलभुलैया में रखा। चूहों के एक समूह को भूलभुलैया के अंत में भोजन मिला, जबकि दूसरे समूह को कोई भोजन नहीं मिला। जिन चूहों को भोजन मिला, उन्होंने जल्दी से भूलभुलैया के माध्यम से अपना रास्ता सीख लिया। हालांकि, जिन चूहों को कोई भोजन नहीं मिला, उन्होंने भी भूलभुलैया के माध्यम से अपना रास्ता सीख लिया, लेकिन उन्होंने इसे तब तक प्रदर्शित नहीं किया जब तक कि उन्हें भोजन की पेशकश नहीं की गई।

अव्यक्त अधिगम का महत्व:

अव्यक्त अधिगम एक महत्वपूर्ण प्रकार का अधिगम है जो हमें अपने वातावरण से जानकारी प्राप्त करने की अनुमति देता है, भले ही हमें तुरंत उस जानकारी का उपयोग करने की आवश्यकता न हो। यह जानकारी भविष्य में उपयोगी हो सकती है, खासकर जब हमें किसी नई परिस्थिति का सामना करना पड़ता है।

अव्यक्त अधिगम के कुछ उदाहरण:

  • एक बच्चा जो अपने माता-पिता को खाना बनाते हुए देखता है, वह बिना किसी स्पष्ट प्रयास के खाना बनाना सीख सकता है।
  • एक पर्यटक जो एक नए शहर में घूमता है, वह बिना किसी नक्शे का उपयोग किए शहर के लेआउट को याद रख सकता है।
  • एक छात्र जो कक्षा में व्याख्यान सुनता है, वह बिना नोट्स लिए भी जानकारी को याद रख सकता है।

अव्यक्त अधिगम और व्यवहारवाद:

अव्यक्त अधिगम व्यवहारवाद के सिद्धांतों का खंडन करता है, जो बताता है कि अधिगम केवल सुदृढीकरण के माध्यम से होता है। टॉलमैन ने तर्क दिया कि अधिगम संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं के माध्यम से भी हो सकता है, जैसे कि मानचित्रण और समस्या-समाधान।

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