Tuesday, 8 April 2025

जल क्षरण के लिए जिम्मेदार कारक

 जल क्षरण के लिए जिम्मेदार कारक निम्नलिखित हैं:

प्राकृतिक कारक:

  • वर्षा: भारी वर्षा और तेज बहाव वाली वर्षा मिट्टी के कणों को बहा ले जाती है।
  • स्थलाकृति: खड़ी ढलान वाली भूमि पर जल का बहाव तेज होता है, जिससे क्षरण अधिक होता है।
  • मृदा का प्रकार: कुछ प्रकार की मिट्टी, जैसे कि रेतीली मिट्टी, दूसरों की तुलना में क्षरण के लिए अधिक संवेदनशील होती हैं।
  • वनस्पति: वनस्पति मिट्टी को बांधे रखती है और जल के बहाव को धीमा करती है, जिससे क्षरण कम होता है। वनस्पति का अभाव क्षरण को बढ़ाता है।
  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा के पैटर्न में बदलाव और अत्यधिक मौसमी घटनाएं जल क्षरण को बढ़ा सकती हैं।

मानवजनित कारक:

  • वनों की कटाई: पेड़ों और अन्य वनस्पतियों को हटाने से मिट्टी उजागर हो जाती है और क्षरण के लिए अतिसंवेदनशील हो जाती है।
  • अतिचारण: पशुओं द्वारा अत्यधिक चराई से वनस्पति नष्ट हो जाती है और मिट्टी दब जाती है, जिससे क्षरण बढ़ता है।
  • अनुचित कृषि पद्धतियाँ: ढलान पर खेती करना, एक ही फसल बार-बार उगाना, और जुताई की गलत विधियाँ मिट्टी की संरचना को कमजोर करती हैं और क्षरण को बढ़ावा देती हैं।
  • शहरीकरण और औद्योगीकरण: निर्माण गतिविधियों और सड़कों के निर्माण से मिट्टी का आवरण हट जाता है और जल का प्राकृतिक बहाव बाधित होता है, जिससे क्षरण बढ़ सकता है।
  • खनन: खनन गतिविधियाँ बड़े पैमाने पर मिट्टी को हटाती हैं और परिदृश्य को बदल देती हैं, जिससे गंभीर क्षरण हो सकता है।
  • सिंचाई की त्रुटिपूर्ण विधियाँ: अत्यधिक सिंचाई या गलत तरीके से सिंचाई करने से जल जमाव हो सकता है और मिट्टी की संरचना खराब हो सकती है, जिससे क्षरण का खतरा बढ़ जाता है।

संक्षेप में, जल क्षरण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें प्राकृतिक और मानवजनित दोनों कारक योगदान करते हैं। मानव गतिविधियों ने अक्सर प्राकृतिक क्षरण की दर को काफी तेज कर दिया है।

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