केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक संगठन है। इसे जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत सितंबर 1974 में स्थापित किया गया था। सीपीसीबी का मुख्य उद्देश्य जल और वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और कमी के माध्यम से पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार करना है।
सीपीसीबी की भूमिका:
- पर्यावरण मानकों का निर्धारण:
- सीपीसीबी विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के लिए राष्ट्रीय मानक स्थापित करता है।
- इसमें वायु गुणवत्ता मानक, जल गुणवत्ता मानक, शोर प्रदूषण मानक और अपशिष्ट प्रबंधन मानक शामिल हैं।
- पर्यावरण की निगरानी:
- सीपीसीबी पूरे देश में वायु और जल की गुणवत्ता की निगरानी करता है।
- यह प्रदूषण के स्तरों को मापने और रुझानों की पहचान करने के लिए एक राष्ट्रीय निगरानी नेटवर्क चलाता है।
- प्रदूषण नियंत्रण उपायों का कार्यान्वयन:
- सीपीसीबी प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी) के साथ मिलकर काम करता है।
- यह उद्योगों, नगर पालिकाओं और अन्य प्रदूषण स्रोतों को प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन करने के लिए मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करता है।
- जन जागरूकता:
- सीपीसीबी प्रदूषण के खतरों और प्रदूषण नियंत्रण के महत्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाता है।
- यह स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित करता है।
- अनुसंधान और विकास:
- सीपीसीबी प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकियों और रणनीतियों पर अनुसंधान और विकास का समर्थन करता है।
- यह प्रदूषण नियंत्रण के लिए नवीन समाधानों को बढ़ावा देता है।
- पर्यावरण कानूनों का प्रवर्तन:
- सीपीसीबी प्रदूषण नियंत्रण कानूनों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करता है।
- यह उद्योगों और अन्य संगठनों को दंडित कर सकता है जो प्रदूषण मानकों का पालन नहीं करते हैं।
सीपीसीबी के कुछ महत्वपूर्ण कार्य:
- राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (एनएएमपी) का संचालन।
- राष्ट्रीय जल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (एनडब्ल्यूएमपी) का संचालन।
- जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियमों का कार्यान्वयन।
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों का कार्यान्वयन।
- ई-कचरा प्रबंधन नियमों का कार्यान्वयन।
सीपीसीबी भारत में पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण संगठन है। यह प्रदूषण नियंत्रण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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